JBKSS और जयराम महतो पर उठ रहे है सवाल..?

पहले झारखंड में भाषा आंदोलन की शुरुआत होती है फ़िर खतियान आंदोलन की शुरुआत है फ़िर एक युवा जयराम कुमार महतो का विडियो सोशल मीडिया में वायरल होता है। फ़िर एक समाजिक संगठन “झारखंडी भाषा संघर्ष समिति” की शुरुआत होती हैं।

JBKSS और जयराम महतो पर उठ रहे है सवाल..?
  • हर किसी की भागिदारी रही है.
  • सामाजिक और जातीय समीकरण के मामले में JBKSS पार्टी काफी पिछड़ी है
  • जयराम कुमार महतो को झारखंड में मुख्यमंत्री बनने का सपना दिखा रहे है

जयराम कुमार महतो, तीर्थ नाथ आकाश, मोतीलाल महतो, करण महतो, सतीश कुमार महतो, इमाम सफी, रिज़वान अख़्तर, मो परवेज अंसारी इत्यादि कई युवा नेता भाषा व खतियान को लेकर प्रदर्शन व सभाओं का आयोजन करते है, फिर आंदोलन में बेबी महतो, पूजा महतो इत्यादि युवतियां भी शामिल होती है। लेकिन इन युवाओं में केवल तीन ही चेहरे होते है जो गैर कुड़मी समुदाय से आते है। तीर्थ नाथ आकाश जो एक पत्रकार का है जो बाद में अपनी अलग राह पकड़ लेते है, छात्र नेता सफी इमाम झारखंड यूथ एसोसिएशन से जुड़े है वही रिज़वान अख़्तर एक अन्य युवा नेता मंसूर आलम के साथ मिलकर झारखंड खतियानी मुस्लिम मंच का निर्माण करते है।

क्या सभी जाति के लोग है?

जयराम कुमार महतो और मोतीलाल महतो अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति को एक राजनीतिक दल का रूप देते है। अब तक इस राजनीतिक दल में दो गैर कुड़मी युवा नेता शामिल होते है, कुशवाहा संजय मेहता और मनोज यादव। कुल मिलाकर इस JBKSS पार्टी में ओबीसी वर्ग के तीन चार जातियों के युवा नेता शामिल है। इस में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े-पसमांदा मुस्लिम समुदाय से युवा नेताओं की संख्या नगण्य है।

JBKSS और जयराम महतो पर उठ रहे है सवाल..?

सामाजिक और जातीय समीकरण के मामले में JBKSS पार्टी काफी पिछड़ी है

सामाजिक और जातीय समीकरण के मामले में JBKSS पार्टी काफी पिछड़ी है, सामाजिक न्याय तो दूर की बात है। राजनीतिक दल तो हमेशा जातियों का गठजोड़ बनाती है जो JBKSS में नहीं दिखती है। झारखंड राज्य में करीब तीस प्रतिशत तो अकेले सिर्फ आदिवासी समुदाय की आबादी है। दलित समुदाय राज्य में करीब बारह से चौदह प्रतिशत है। मुस्लिम समुदाय की आबादी भी करीब अठारह प्रतिशत की है।

जयराम कुमार महतो को झारखंड में मुख्यमंत्री बनने का सपना दिखा रहे है

जो लोग जयराम कुमार महतो को झारखंड में मुख्यमंत्री बनने का सपना दिखा रहे है वो या तो राजनीति नए है या बाकि कुड़मी युवा की तरह केवल जज़्बात में बह गए है। अभी राज्य में केवल नौ विधायक कुड़मी समुदाय से आते है जो दलित समुदाय के विधायकों के बराबर और आदिवासी समुदाय के विधायकों की संख्या से आधी भी नहीं है। जयराम कुमार महतो और उनकी JBKSS टीम को पार्टी का विस्तार करना चाहिए और सभी जाति और जनजाति वर्गों के लिए पार्टी में उचित भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्हें अगर वास्तव में झारखंड राज्य की तस्वीर बदलनी है या झुमरा पहाड़ में सरकार बनानी है तो इसे गंभीरता से लेनी चाहिए। अगर सिर्फ़ अपनी नेतागिरी चमकानी है या एक ही समुदाय का नेता बनकर रहना है तो फ़िर कोई बात नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *