मशहूर जर्मन दार्शनिक कार्ल मार्क्स के 20 महतवपूर्ण विचार

कार्ल मार्क्स एक मशहूर जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनीतिक सिद्धांतकार थे जो 19वीं शताब्दी में रहते थे। वह पूंजीवाद और साम्यवाद के बारे में अपने विचारों के लिए जाने जाते हैं, जैसा कि उनके सबसे प्रसिद्ध काम “दास कैपिटल” और “द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो” में उल्लिखित है। दुनिया भर में समाजवादी और साम्यवादी आंदोलनों के विकास पर मार्क्स के विचारों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।

karl marx ke 20 anmol vichar
मशहूर जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनीतिक सिद्धांतकार कार्ल मार्क्स के 20 महतवपूर्ण विचार

कार्ल मार्क्स के 20 महतवपूर्ण विचार

01.

दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ,
आपके पास अपनी जंजीरों के सिवा खोने खोने के लिये कुछ भी नहीं है।

कार्ल मार्क्स

02.

इतिहास खुद को दोहराता है,
पहला त्रासदी के रूप में दूसरा तमाशा के रूप में।

कार्ल मार्क्स

03.

सामाजिक प्रगति को
औरतों के सामाज में स्तिथि से मापा जा सकता है।

कार्ल मार्क्स

04.

यदि कुछ निश्चित है,
तो यह कि में स्वयं मार्क्सवादी नहीं हूँ।

कार्ल मार्क्स

05.

बहुत सारी उपयोगी चीजों का उत्पादन का ये भी परिणाम होता है
कि बहुत सारे लोग बेकार हो जाते है।

कार्ल मार्क्स

06.

अमीर लोग गरीबों के कुछ भी करेंगे
लेकिन उनके पीठ से उतरेंगे नहीं।

कार्ल मार्क्स

07.

लोकतंत्र समाजवाद का मार्ग है।

कार्ल मार्क्स

08.

धर्म आवाम के लिये अफ़ीम की तरह है।

कार्ल मार्क्स

09.

पिछले सभी तबकों का इतिहास वर्ग संघर्षो का इतिहास रहा है।

कार्ल मार्क्स

10.

शासकों के विचार
प्रत्येक युग के शासक वर्गों का विचार रहा है।

कार्ल मार्क्स

11.

साम्यवाद का भूत यूरोप को परेशान कर रहा है।

कार्ल मार्क्स

12.

शांति का अर्थ साम्यवाद के विरोध का नहीं होना है।

कार्ल मार्क्स

13.

आवश्यकता तब तक अंधी होती है
जब तक वह सचेत न हो जाए,
स्वतंत्रता आवश्यकता की चेतना है।

कार्ल मार्क्स

14.

मानसिक पीड़ा का
एकमात्र इलाज शारीरिक दर्द है।

कार्ल मार्क्स

15.

नौकरशाह के लिए
दुनिया महज एक हेर-फेर करने की वस्तु है।

कार्ल मार्क्स

16.

कारण का हमेशा अस्तित्व होता है
लेकिन इसका कारण हमेशा कारण ही नहीं होता।

कार्ल मार्क्स

17.

लोगों की ख़ुशी के लिए
पहली आवश्यकता धर्म का अंत है।

कार्ल मार्क्स

18.

पूँजी एक मरा हुआ मजदुर है,
जो पिशाच की तरह है, जोम केवल श्रम चूसकर ही जिन्दा रहता है,
और जितने ज्यादा समय तक जीता है उतना ज्यादा श्रम चुसता है।

कार्ल मार्क्स

19.

साम्यवाद के सिद्धांत को एक वाक्य में अभिव्यक्त किया जा सकता है:
सभी निजी संपत्ति को समाप्त करना।

कार्ल मार्क्स

20.

दर्शनशास्त्रियो ने केवल इस दुनिया की अलग-अलग तरह से व्याख्या दी है।
असल में बात यह है की इसे कैसे बदला जा सकता है।

कार्ल मार्क्स

यही कोट्स भी पढ़े:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *