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हम जोल्हा है, झारखंड के मूलनिवासी है, खतियानी – झरखंडी है, पिछड़े वर्ग में आते है, हमारी 42-45 लाख लगभग झारखंड में आबादी है, बीजेपी को हमारी बिरादरी वोट न के बराबर करती है इसलिए उनसे कोई सवाल नहीं है।
लेकिन हमारी बिरादरी की बहुसंख्यक आबादी झामुमो+कांग्रेस को वोट करती है, फिर कुछ प्रतिशत वोट आजसू को भी जाता है, इन राजनितिक दलों में हमारी आबादी अनुसार हिस्सेदारी नहीं है, अब झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (JBKSS) के अध्यक्ष जयराम महतो अपनी राजनितिक दल लेकर आई है, जो युवाओं से भरा पड़ा है लेकिन वहां भी हमारे बिरादरी के युवाओं का अनदेखा किया जा रहा है।
जयराम महतो ने क्या कहा था ?
अभी कुछ महीने पहले हमने जयराम महतो को बताया था कि आपने जिस फरजान खान को JBKSS का महासचिव बनाया है उसकी बिरादरी – पठान की आबादी झारखंड के कुल मुस्लिम आबादी में 1 या 2 प्रतिशत भी नहीं है जो बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी का प्रतिनितिधित्व नहीं करती है, उसके स्थान पर किसी जोल्हा समुदाय के व्यक्ति को बिठाइए क्योंकि जोल्हा बिरादरी झारखंड के कुल मुस्लिम आबादी का 90 प्रतिशत से भी ज्यादा है। जयराम महतो ने हमारे तर्क को ठीक समझा और कहा कि हम जल्द ही बदलाव करेंगे लेकिन 2 से 3 महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक हमें JBKSS में परिवर्तन नज़र नहीं आ रहा है।
अभी सुनने में आ रहा है कि JBKSS में रिज़वान अख्तर को भी शामिल किया जा रहा है रिज़वान कलाल (इराकी) बिरादरी से आते है रिज़वान की बिरादरी भी झारखंड की कुल मुस्लिम आबादी में 1 या 2 प्रतिशत नहीं होगी।
दुसरी बात रिज़वान ने झारखंडी खतियानी मुस्लिम मंच JKMM बना कर आंदोलन को हिंदू – मुस्लिम का रंग देने की कोशिश की है।
तीसरी बात रिज़वान ने पोलिटिकल माइलेज के लिए खुद को जोल्हा -अंसारी बिरादरी से जोड़ लिया जो बिल्कुल झूठ है जब हमने उससे इस विषय में प्रमाण मांगा तो वो कुछ दिखा नहीं सके। इससे सांप्रदायिकता और धुर्विकरण को बल मिलेगा। भाषा – खतियान आंदोलन किसी एक समुदाय का आंदोलन नहीं है बल्कि यह सभी खतियानी – झारखंडी का आंदोलन है।
बिना निति का नहीं हो सकता झारखंड का विकास
सदियों से झारखंड के खनिज संपदा को लुटा जा रहा है यहां के जंगलों को काटा जा रहा है, उधोग के नाम पर भूमि अधिग्रहण हो रहा है, जल जंगल जमीन को दूषित – प्रदूषित किया जा रहा है, आवाम राज्य से पलायन को विवश है, स्थानीय नीति, नियोजन नीति, उधोग नीति, विस्थापन नीति को जब तक झारखंडी हितों के लिए नहीं बनाया जाएगा तब तक कोई मुमकिन उपाय नज़र नहीं आ रहा है।
ऐसे जब झारखंडी युवा आंदोलन करते है तो एक उम्मीद नजर आती है उस उम्मीद को बनाए रखना चाहिए। इससे पहले हमने जयराम महतो को ये भी कहा था कि दलित – पिछड़े – आदिवासी – मूलवासी सभी वर्गों को आंदोलन में लाया जाए जिससे आंदोलन का व्यापक जनाधार बने ताकि कोई इसे किसी खास समुदाय से जोड़ कर न ना देखे।
जयराम महतो ने JBKSS को चुनावी राजनीति में लाने का एलान कर दिया है
अभी मौजूदा वक्त में आंदोलन का असर झारखंड के सभी हिस्सों में देखने को मिल रहा है, चाहे उतरी – दक्षिणी छोटानागपुर हो या संथाल परगना, लेकिन जिस तरह से JBKSS संगठन का विस्तार होना चाहिए था वैसा अभी नहीं हो पाया है लेकिन अभी भी हमारे पास बहुत वक्त है एक दिन में कोई सामाजिक परिवर्तन नहीं होता है, सामाजिक परिवर्तन के लिए चुनावी राजनीति में जाना ही पड़ता है, बगैर राजनीत के आप अपने लोगों के लिए कोई नीति – नियम नहीं बना सकते है, हालांकि जयराम महतो ने JBKSS को चुनावी राजनीति में लाने का एलान कर दिया है, जो बिल्कुल ठीक फैसला है और वक्त की जरूरत है, चुनावी राजनीति में झारखंड के आदिवासी – मूलवासी – पिछड़ा – दलित – पसमांदा ईत्यादि सभी वर्गों का ख्याल रखना होगा और उनके राजनितिक प्रतिनिधित्व को विशेष तरजीह देनी होगी।
क्या है ख़तियानी जोल्हा परिषद की वाजिब मांग ?
हमारा संगठन – ख़तियानी जोल्हा परिषद की वाजिब मांग को अब तक पूरा नहीं किया गया है और जयराम महतो को हम याद दिलाना चाहते है हम भाषा – खतियान – झारखंडी हित के मुद्दों में हम उनके साथ खड़े है लेकिन शर्त है कि हमारी जायज़ मांगो को उन्हें पूरा करना चाहिए। जोहार!
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Razaul Haq Ansari is a Pasmanda Activist from Deoghar Jharkhand, He works to upliftment for unprivileged lower castes among Muslims [ST, SC and OBC among Muslims]. He is associated with anti-caste and social justice movement since 2018.