हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले
Galib Shayari
हमने माना कि हम्मे कुछ नहीं है ग़ालिब' पर मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है
Galib Shayari
आते हैं ग़ैब से ये मज़ामीं ख़याल में ग़ालिब' सरीर-ए-ख़ामा नवा-ए-सरोश है
Galib Shayari
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
Galib Shayari
इश़्क मुझको नहीं, वहशत ही सही मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही
Galib Shayari
दिल ही तो है, न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यों रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यों
Galib Shayari
इश़्क मुझको नहीं, वहशत ही सही मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही
Galib Shayari
हज़ारों लफ़्ज़ हैं, मगर एक सवाल हैं तू कहाँ है और क्यूँ है इतना ख़्याल है
Galib Shayari