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Galib Sher: हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि.... चुनिंदा शेर

Shahid

14 Sep 2024

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हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले

Galib Shayari

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हमने माना कि हम्मे  कुछ नहीं है                        ग़ालिब'                 पर मुफ़्त  हाथ आए तो बुरा क्या है

Galib Shayari

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आते हैं ग़ैब से ये मज़ामीं ख़याल में                   ग़ालिब'  सरीर-ए-ख़ामा नवा-ए-सरोश है 

Galib Shayari

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मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले

Galib Shayari

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इश़्क मुझको नहीं, वहशत ही सही मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही 

Galib Shayari

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दिल ही तो है, न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यों रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यों

Galib Shayari

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इश़्क मुझको नहीं, वहशत ही सही मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही

Galib Shayari

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हज़ारों लफ़्ज़ हैं, मगर एक सवाल हैं  तू कहाँ है और क्यूँ है इतना ख़्याल है 

Galib Shayari

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