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झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिशा निर्देश पर कार्मिक विभाग ने झारखंड के लिए नई नियोजन नीति को अंतिम रूप दे दिया गया है। हो सकता जल्द ही नई नियोजन नीति के लिए कैबिनेट की बैठक में रखा जा सकता है। उसके बाद कैबिनेट से मुहर के बाद राज्य में नियुक्तियां शुरू होंगी।
17 दिसंबर को झारखंड हाईकोर्ट ने नियोजन नीति को खारिज कर दिया था, नियोजन नीति के मामले में हेमंत सरकार को सर्वोच्च न्यायालय(SC) जाना मुश्किल लग रहा है। सूत्रों के अनुसार झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश और अगवाई पर कार्मिक विभाग ने झारखंड के लिए नई नियोजन नीति को अंतिम रूप दे दिया है। जल्द ही राज्य में नई नियोजन नीति का कैबिनेट की बैठक होगा जिसमे नई नियोजन नीति का प्रताव रखा जाएगा। कैबिनेट से मुहर लगने के बाद ही नई और पुरानी नियुक्तियां शुरू की जाएंगी। इसके साथ ही झारखंड में नियोजन नीति को लेकर चल रही राजनितिक उठा पटक दूर हो जाएगी।
क्यों जरुरी है 1932 खतियान आधारित नियोजन निति और स्थानीय निति.?
लेकिन झारखंड में 1932 खतियान आधारित स्थानीय निति को लेकर जयराम महतो, रिज़वान अख्तर, अमित महतो, प्रवीण कच्छप, रतन लाल सिंह मुण्डा, मो. परवेज अंसारी, रजाउल हक़ अंसारी से जब भी सवाल किया जाता है की क्यों जरुरी है 1932 खतियान आधारित नियोजन निति और स्थानीय निति.? तो हर झारखंडियों का एक ही जवाब आता है की झारखंड मेरा राज्य है मेरा अपना अधिकार होना चाहिए, क्या झारखंडियों की कोई पहचान नहीं होनी चाहिए? जब भारत में सभी राज्य अपने भाषा या अपने जरुरत के हिसाब से सभी राज्यों की अपनी अपनी नियोजन और स्थानीय निति है तो फिर झारखंड के लिए क्यों नहीं?
झारखंड के भाषा और खातियानधारी मूलवासी आन्दोलनकारियों का कहना है जब तक 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय और नियोजन निति नहीं बनेगा तब तक हम सब युवा आन्दोलनकारी झारखंड हित में ये आन्दोलन जारी रहेगा।
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झारखंड सरकार को हाई कोर्ट से लग चुका है झटका
झारखंड हाईकोर्ट ने बीते दिसंबर 17 2022 को हेमंत सरकार की नियोजन नीति को रद्द कर दिया था। इसके बाद 20 से अधिक नियुक्ति विज्ञापन झारखंड कर्मचारी आयोग द्वारा लिए जाने वाले सभी नियुक्ति रद्द किए गए थे। जिसके बाद झारखंड हाई कोर्ट और हेमंत सरकार में लगातार गतिरोध बना हुआ था। वहीं सुप्रीम कोर्ट(SC) में चुनौती देने के लिए झारखंड सरकार हाई कोर्ट के फैसले पर विचार कर रही थी लेकिन सूत्रों ने कहा की राज्य सरकार नई नियोजन नीति के मसौदे को तैयार कर हेमंत सोरेन ने नया तरीका निकाल रही है।
मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने नियोजन नीति पर बैठक कर पिछले दिनों हर तरह से तैयारी करने का निर्देश जारी करते हुए कार्मिक विभाग को नियोजन निति का स्वरुप तैयार कर दिया है। अगर सर्वोच्च न्यायालय जाते है तो क्या-क्या हो सकता है और नहीं जाने पर नई नियोजन नीति में सरकार को क्या-क्या बदलाव करने होंगे। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री सर्वोच्च न्यायालय जाने पर चुप्पी साधे है। हेमंत सरकार की जोर जल्द नौकरी का रास्ता खोलने पर है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से नई नियोजन नीति लाने की उम्मीद युवाओं में बहुत बढ़ गई है। सूत्रों के अनुसार हेमंत सरकार 2016 से पहले की नियोजन नीति पर भी विचार कर रही है।
राज्य के युवाओं की मांग के अनुरूप नियोजन नीति बने
राज्य में युवा लगातार स्थानीय निति, नियोजन निति, खनन निति और झारखंड में विस्थापितों के लिए आन्दोलन जारी है, नई नियोजन नीति में झारखंड स्थित स्कूल से ही न्यूनतम दसवीं या मैट्रिक की परीक्षा पास होने और भाषा-संस्कृति, परिवेश का ज्ञान और स्थानीय रीति-रिवाज होने की शर्तों को हटाया जा सकता है। इसके अलावा अभी परीक्षा पैटर्न में अन्य तरह के बदलाव के संकेत नहीं हैं।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य के युवाओं की 1932 खतियान आन्दोलन को देखते हुए झारखंड में 1932 के आधार पर नियोजन और स्थानीय निति की मांग के अनुरूप नियोजन नीति बनाने की बात कह चुके हैं।
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