क्यों कांग्रेस से नाराज है पसमांदा मुस्लमान ?

कांग्रेस पार्टी अभी हाल के विधानसभा चुनावों में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ हार गई, इन तीन राज्यों में दो राज्य में कांग्रेस की सरकारें थी, केवल तेलंगाना में सरकार बनाने में सफल रही, उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा।

Why are Pasmanda Muslims angry with Congress?
Why are Pasmanda Muslims angry with Congress?

कांग्रेस पार्टी का परंपरागत वोटर रहा है मुसलमान ख़ासकर पसमांदा मुसलमान, पसमांदा मुसलमान यानि मुस्लिम समुदाय में जो पिछड़े, दलित और आदिवासी वर्ग के मुस्लिम है। लेकिन अल्पसंख्यक/अकलियत की राजनीति का बागडोर हमेशा अशराफ – सवर्ण या अभिजात वर्ग के मुस्लिम के हाथों में रहा है, कांग्रेस पार्टी में भी वर्चस्व अबतक इन्हीं अशराफ तबकों का है, चाहे कांग्रेस का संगठन में हो, या पार्टी के टिकट में हिस्सेदारी, या सांसद/विधायक हो, हमेशा मुसलमानों का नुमाइंदगी ये इन चंद बिरादरियां ही करता है।

कई पेशेवर जातियों में बंटा निचले तबके का मुसलमान

इनकी आबादी मुसलमानों में 15 फ़ीसदी तक सीमित है वही दूसरी ओर पसमांदा मुसलमान यानि मजदूर – श्रमिक वर्ग, इनमें बुनकर, कसाई, धुनिया, दस्तकार, शिल्पकार, कारीगर, दर्जी, मनिहार, हज्जाम, सब्जी बेचने वाला, रेवड़ी लगाने वाला, धोबी, फल बेचने वाला, दूध बेचने वाला, किसान इत्यादि कई पेशेवर जातियों में बंटा निचले तबके का मुसलमान, जिसकी कुल मुस्लिम आबादी में 85 फ़ीसदी आबादी है, इसकी नुमाइंदगी कांग्रेस पार्टी में न के बराबर है जिनके वोटों से केंद्र और कई राज्यों में कांग्रेस अब तक सरकारें बनवाती चली आई है।

कांग्रेस के वही अबतक गिने चुने अशराफ नेता जैसे सलमान खुर्शीद, तारिक अनवर, इमरान प्रतापगढ़ी ईत्यादि मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व केंद्र राजनीती में करते है। अभी कुछ महीने पहले नई केन्द्रीय कांग्रेस कार्यसमिति का गठन किया गया है, जिसमें कुल 39 में से 4 मुस्लिम सदस्य शामिल हैं, लेकिन सभी सदस्य उच्च जाति के अशरफ मुस्लिम हैं, एक भी निचली जाति के पसमांदा मुस्लिम नहीं जोड़े गए हैं।

अल्पसंख्यक विभाग का राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी जी को बनाया गया है जो पठान बिरादरी से आते है, इतना ही इन्हें राज्यसभा में भी भेज दिया गया, जो पिछले लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से हार गए थे, पसमांदा समुदाय मुशायरा सुनने जरूर जाता है इसका अर्थ ये नहीं कि वो मुशायरा वाला को अपना रहनुमा मान ले।

  • तारिक अनवर – सैय्यद – अशराफ – उच्च जाति
  • सलमान खुर्शीद – पठान ” उच्च जाति
  • गुलाम अहमद मीर – सैय्यद ” उच्च जाति
  • सैय्यद नसीर हुसैन – सैय्यद ” उच्च जाति

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पसमांदा मुसलमान हमेशा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के कोर वोटर रहे हैं

क्या यह उचित नहीं है, राहुल गांधी जी? आपकी पार्टी में किस तरह का सामाजिक न्याय है? पसमांदा मुसलमान हमेशा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के कोर वोटर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने अब तक पसमांदा मुसलमानों के विमर्श को स्वीकार नहीं किया है। कांग्रेस आजकल जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी और जातिगत जनगणना की बात कर रहा है, मल्लिकार्जुन खड़गे जी जो दलित समाज से आते है उनको कुछ महीने पहले कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। लेकिन पसमांदा मुसलमानों के हिस्सेदारी को लेकर मौन क्यों है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पसमांदा पहचान को मान्यता दी है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पसमांदा पहचान को मान्यता दी है, दानिश आज़ाद अंसारी को उत्तर प्रदेश में राज्य मंत्री बनाया है, गुलाम अली खटाना को राज्यसभा भेजा है, जो वन – गुज्जर समुदाय से आते है, तारिक मंसूर और अब्दुल्ला कुट्टी को बीजेपी पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है। लेकिन पसमांदा समुदाय की आबादी अनुसार ये पर्याप्त नहीं है, पसमांदा समुदाय को अनुपातिक प्रतिनिधित्व मिलनी चाहिए। अभी तेलंगाना, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में किसी भी पसमांदा मुस्लिम को उम्मीदवार नहीं बनाया। बीजेपी का पसमांदा स्नेह यात्रा केवल सांकेतिकवाद है लेकिन विपक्ष ने जिस तरह से अब तक पसमांदा पहचान पर मौन व्रत रखा है, उससे तो बेहतर है प्रधानमंत्री मोदी जी का पसमांदा मुसलमानों को लेकर बयान, इससे पसमांदा आंदोलन और विमर्श को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगा।

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Rahul Gandhi - Congress Party
Rahul Gandhi

राहुल गांधी जी ने जाति आधारित जनगणना की बात की है

2024 लोकसभा चुनाव नज़दीक है, कांग्रेस को पसमांदा समुदाय को आबादी अनुसार अनुपातिक प्रतिनिधित्व देना ही होगा अन्यथा कांग्रेस पार्टी के लिए मुसलमानों या अल्पसंख्यक के नाम पर पूरे पसमांदा समुदाय का वोट हासिल करना संभव नहीं है। ये पुराने हथकंडे बहुत पहले ही चले गए हैं, इसलिए सोनिया गांधी जी, मल्लिकार्जुन खड़गे जी और राहुल गांधी को वंचित पसमांदा समुदाय की आवाज सुननी चाहिए और इसके प्रतिनिधित्व के सवाल को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

राहुल गांधी जी ने जाति आधारित जनगणना की बात की है ठीक है लेकिन पसमांदा मुसलमानों की अभी तक बात नहीं की है जो बिल्कुल ठीक नहीं है पसमांदा मुस्लिम अब तक कांग्रेस को बिना अपनी राजनेतिक भागीदारी के वोट देते आ रहे थे लेकिन अब बिल्कुल ऐसा नहीं होगा। राहुल गांधी जी को चुप्पी तोड़नी चाहिए और पसमांदा समुदाय के बारे में जल्द अपनी बात रखनी चाहिए।

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