शरद यादव इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट से लेकर राजनीतिक सफर की कुछ बातें

JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने दुनिया को कहा अलविदा, 75 वर्ष की आयु में निधन

sharad yadav ka itihas | शारद यादव का निधन
JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने दुनिया को कहा अलविदा, 75 वर्ष की आयु में निधन
  • इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं शरद यादव
  • मध्य प्रदेश से अपना राजनीतिक सफर शुरू किये थे शरद यादव
  • 1998 में शरद यादव ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) नाम की पार्टी बनाई.

आपको बता दें, गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में 12 जनवरी को शरद यादव ने अंतिम सांस ली. एक गरीब किसान परिवार में 1 जुलाई 1947 को शरद यादव का जन्म जिला होशंगाबाद मध्य प्रदेश के बंदाई गांव में हुआ था. मध्य प्रदेश से उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई थी. वहीं, इंजीनियरिंग की पढ़ाई जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से हुए थी. आपको शायद ही पता होगा, शरद यादव जी गोल्ड मेडलिस्ट रहे थे अपने इंजीनियरिंग कॉलेज में, पढ़ाई में वह बचपन से ही हमेशा अव्वल रहे थे. अपना रूख राजनीति की ओर किया यहां भी कभी पीछे नहीं रहे.

भारतीय राजनीति में अलग पहचान वाले नेता थे शरद यादव (Sharad Yadav). अब इस दुनिया में नहीं रहे शरद यादव, JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने दुनिया को कहा अलविदा, 75 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस, उन्होंने अपने राजनीति जीवन में जो छाप छोड़ी है उसे भुलाया नहीं जा सकता. अपने पुरे राजनीती जिंदगी में सिर्फ बिहार के राजनीति में सक्रिय नहीं थे वे देश के कई राज्यों में राजनीति निशान छोड़ कर 75 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह गए .

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शरद यादव का इतिहास की कुछ राजनीतिक सफर से जुड़ी बाते जानते हैं

देश के दिग्गज नेता रहे डॉ राम मनोहर लोहिया के सिध्दांतों से काफी प्रभावित थे शरद यादव, और युवा नेता होते हुए उन्होंने डॉ राम मनोहर लोहिया के कई आंदोलन में हिस्सा लिया. वह कई बार जेल भी गए. इसके साथ ही उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने में भी अहम भूमिका निभाई थी.

उन्होंने अपनी राजनीति लालू यादव, मुलायम सिंह यादव और एचडी देवगौड़ा जैसे धुरंधर राजनीतिज्ञों के साथ शुरू की थी. जब वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे उसी वक्त उन्होंने कॉलेज से ही राजनीति में कदम रखा और छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे.राजनीति में अपना पहले कदम में भी वह अव्वल रहे थे, इसीलिए भारतीय राजनीती में काफी वरिष्ठ राजनेता रहे.

1974 में मध्य प्रदेश के जबलपुर लोकसभा सीट से शरद यादव पहली बार सांसद बने थे. उस दौर में जेपी आंदलोन चल रहा था. पहले उम्मीदवार थे जो हल्दर किसान के रूप में जेपी भी चुने गए. जबलपुर सीट से 1977 में लोकसभा चुनाव जीते थे. इसके बाद 1986 में वे राज्यसभा सांसद के रूप में चुने गए.


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इसके बाद फिर यूपी की राजनीति में कदम रखे. शरद यादव यहां भी अपना नाम का परचम लहराए. उत्तर प्रदेश के बदाऊं लोकसभा सीट से जीत हासिल कर तीसरी बार लोकसभा सांसद बने 1989 में. केंद्रीय मंत्री भी रहे इसी दौर में. उन्हें फूड प्रोसेसिंग और टेक्सटाइल मंत्रालय सौंपा गया था.

इसके बाद बिहार राज्य की राजनीति में कदम रखा और वह बिहार के मधेपुरा लोकसभा सीट से 1991 से लेकर 2014 तक सांसद रहे. उन्हें जनता दल का कार्यकारी अध्यक्ष 1995 में चुना गया और यादव जी को जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष 1997 में बनाया गया.

जॉर्ज फर्नांडिस के सहयोग से 1998 में शरद यादव ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) नाम की पार्टी बनाई.

उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार 13 अक्टूबर 1999 को सौंपा गया और वे केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री 1 जुलाई 2001 को चुने गए.

दूसरी बार राज्यसभा सांसद 2004 में बने और शरद यादव को गृह मंत्रालय के अलावा कई कमेटियों के सदस्य बनाए गए. वे 7वीं बार सांसद 2009 में बने फिर शहरी विकास समिति का अध्यक्ष बनाया गया.

संसद में उनके बेहतरीन योगदान को देखते हुए 2012 में ‘उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार 2012’ से नवाजा गया

साल 2014 में मधेपुरा लाोकसभा सीट से शरद यादव को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 2018 में उन्होंने खुद को जेडीयू से अलग करके अपनी नई पार्टी (Sharad Yadav Party) और लोकतंत्रिक जनता दल (LJD) का गठन किया था. वहीं, अपने धुर विरोधी नेता लालू यादव की पार्टी RJD में LJD का साल 2022 में विलय कर दिया.

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